बिग ब्रेकिंग:- प्रदेश की धामी सरकार अब घर बैठे बुजुर्गों का रखेगी ख्याल, जानिए क्या है नई योजना

उत्तराखंड में बुजुर्गों को जल्द ही अब घर बैठे इलाज मिल सकेगा। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग योजना तैयार कर रहा है। योजना के तहत विभाग बुजुर्गों का नियमित हालचाल लेगा। वहीं, चिकित्सीय परामर्श, पैथोलाजी जांच, दवा आदि की सुविधा उन्हें घर पर ही प्रदान की जाएगी।

 

 

दरअसल, उम्र बढ़ने के साथ-साथ अप्रत्याशित रूप से स्वास्थ्य समस्याएं भी बढ़ने लगती हैं। यही नहीं वृद्ध लोगों के शरीर में बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम होती है। ऐसे में मौसम के बदलाव व तमाम तरह के संक्रमण की चपेट में भी वह आसानी से आ जाते हैं। इन सबको देखते हुए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है।

 

 

बुजुर्गों को अत्यधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। पर बुजुर्गों के लिए बार-बार अस्पताल जा पाना बहुत ही चुनौतीपूर्ण है। खासकर दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्र में, जहां स्वास्थ्य इकाइयों तक पहुंच उतनी सुगम नहीं है। ऐसे में राज्य सरकार ने इनकी देखभाल का बीड़ा उठाया है। बुजुर्गों को अब घर बैठे ही उपचार मिलेगा। जिसके लिए राज्य सरकार विशेष स्वास्थ्य योजना लेकर आ रही है। इस योजना के तहत स्वास्थ्य विभाग 60 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों को हर 15 दिन में फोन करेगा और उन्हें घर बैठे स्वास्थ्य जांच की सुविधा देगा।

 

 

जल्द ही यह योजना शुरू कर दी जाएगी। इस योजना के तहत स्वास्थ्य कर्मियों की टीम बनाई जाएगी। जिसमें आशाएं, सीएचओ आदि शामिल होंगे। ये टीम फोन पर जानकारी मिलने के बाद वृद्ध के घर जाकर जांच करेगी। जरूरत होने पर अस्पताल भी पहुंचाया जाएगा।

 

 

प्रदेश में 60 वर्ष से अधिक आयु के तकरीबन 8.70 लाख आयुष्मान कार्ड बने हैं। वहीं, इस आयु वर्ग के 2.91 लोग अब तक आयुष्मान योजना के तहत उपचार ले चुके हैं। इनकी स्वास्थ्य समस्याओं की जानकारी भी विभाग के पास है। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के पास उपलब्ध इस डेटा के माध्यम से विभाग बुजुर्गों तक अपनी पहुंच बनाएगा।

 

 

डा. धन सिंह रावत, स्वास्थ्य मंत्री
प्रदेश में बुजुर्गों को घर बैठे इलाज की सुविधा देने की योजना आकार ले रही है। जिसमें उन्हें चिकित्सीय परामर्श, जांच आदि की सुविधा मिलेगी। वृद्धजन की नियमित दवाएं भी हैं। यह प्रयास है कि उन्हें घर पर ही दवा उपलब्ध करा दी जाए।

 

 

आयुष्मान योजना के क्लेम से संबंधित फाइलों को तैयार करने में बरती जा रही लापरवाही पर दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना ने नाराजगी जताई है। बुधवार को दून अस्पताल सभागार में आयोजित आयुष्मान योजना की समीक्षा बैठक में उन्होंने निर्देश दिए कि फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं होने के अलावा मोहर, ओटी नोट्स आदि के कारण जिस विभाग के क्लेम राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के स्तर से खारिज किए जा रहे हैं, उन विभागों व संबंधित चिकित्सकों को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि बंद कर दी जाए।

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