Big breaking :-10 जुलाई को उत्तराखंड के इन जिलों के इन इलाकों में रहेगा अवकाश जानिए क्या हैं मामला

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*बद्रीनाथ एवं मंगलौर विधानसभा में उपचुनाव के लिए सभी पोलिंग पार्टियाँ अपने गंतव्यों के लिए रवाना*

*दोनों विधानसभाओं के उपचुनाव ड्यूटी में 4200 कार्मिकों की तैनाती*

*बद्रीनाथ विधानसभा में 9 हाई एल्टीट्यूड पोलिंग स्टेशन पर पहली बार मतदान करेंगे ग्रामीण*

कल हरिद्वार की मंगलौर और चमोली की बद्रीनाथ विधानसभा में वोटिंग के चलते रहेगा अवकाश

मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. बी.वी.आर.सी पुरुषोत्तम के निर्देशों के क्रम में बद्रीनाथ एवं मंगलौर विधानसभा में उपचुनाव को लेकर उप मुख्य निर्वाचन अधिकारी सुश्री मुक्ता मिश्र एवं सहायक मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्री मस्तू दास ने संयुक्त रूप से मीडिया ब्रीफ़िंग की।

 

 

उप मुख्य निर्वाचन अधिकारी सुश्री मुक्ता मिश्र ने बताया कि बुधवार को विधानसभा क्षेत्र बद्रीनाथ एवं मंगलौर में सकुशल मतदान संपन्न कराने हेतु सभी पोलिंग पार्टियों को रवाना कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि दोनों विधानसभा के उपचुनाव को संपन्न कराने हेतु लगभग 4200 कार्मिकों को ड्यूटी पर लगाया गया है।

 

 

 

सहायक मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्री मस्तू दास ने बताया कि बद्रीनाथ क्षेत्र में जिन स्थानों पर लैंडस्लाइड के कारण सड़क मार्ग अवरुद्ध है उन स्थानों पर पर्याप्त मानवबल लगाकर पोलिंग पार्टियों को पैदल मार्ग से पोलिंग स्टेशनों तक पहुँचा दिया गया है। इसके अलावा मतदान कार्मिकों के लिये रिज़र्व वाहनों की भी व्यवस्था की गई है। सहायक मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि बद्रीनाथ एवं मंगलौर विधानसभा उपचुनाव के दौरान सी-विजिल के माध्यम से 624 शिकायतें प्राप्त हुई जिनमें 623 शिकायतों का समाधान किया गया है जबकि एक शिकायत आरओ द्वारा निरस्त कर दी गई। इसके अलावा उन्होंने बताया कि उपचुनाव में 15 लाख 95 हज़ार कैश समेत कुल 32 लाख रुपए क़ीमत की शराब एवं मादक पदार्थ सीज किए गए।

 

 

*9 हाई एल्टीट्यूड पोलिंग स्टेशन स्थापित*

सहायक मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्री मस्तू दास ने जानकारी देते हुए बताया कि बदरीनाथ विधानसभा क्षेत्र के सीमांत क्षेत्रों में पहली बार 9 हाई एल्टीट्यूड पोलिंग स्टेशन स्थापित किए गए हैं जिनमें 17 गावों के 3838 मतदाता मतदान करेंगे। उत्तराखण्ड बनने के बाद से सामान्य रूप से विधानसभा एवं लोकसभा चुनावों के दौरान शीतकाल में इन क्षेत्रों में स्थानीय मतदाताओं द्वारा प्रवास ना किए जाने की स्थिति में उनके ग्रीष्मक़ालीन प्रवास वाले गाँवों में मतदान की व्यवस्था की जाती थी।










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