कचरे के निस्तारण की भारी चुनौतियों के बीच अब हरिद्वार में कचरे से बनेगा हरित कोयला, लगेगा प्लांटटीएचडीसी-यूजेवीएनएल संयुक्त उपक्रम ने हरिद्वार में हरित कोयला प्लांट शुरुआत की कवायद शुरू की।
इसके लिए नगर निगम हरिद्वार के साथ एमओयू साइन हो चुका है।राज्य में रोजाना निकलने वाले कचरे के निस्तारण की भारी चुनौतियों के बीच अब हरिद्वार में इससे हरित कोयला बनाने का काम शुरू होने वाला है। इसके लिए टीएचडीसी-यूजेवीएनएल का संयुक्त उपक्रम हरिद्वार में 140 करोड़ रुपये की लागत से म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट टू टॉरीफाइड चारकोल (हरित कोयला) प्लांट लगाने जा रहा है।एनटीपीसी ने वाराणसी में हरित कोयला प्लांट लगाया है।
इस कांसेप्ट को देखते हुए टीएचडीसी-यूजेवीएनएल संयुक्त उपक्रम ने हरिद्वार में इसकी शुरुआत की कवायद शुरू की। इसके लिए नगर निगम हरिद्वार के साथ एमओयू साइन हो चुका है। रोजाना करीब 400 टन कचरे से 140 टन हरित कोयला तैयार होगा।इस हरित कोयले का इस्तेमाल बिजली बनाने में किया जा सकेगा। उद्योगों को भी बेचा जा सकेगा, जिसे वह ईंधन के रूप में इस्तेमाल कर सकेंगे। राज्य में इस तरह का यह पहला प्लांट होगा, जिससे कूड़े का निस्तारण आसान हो जाएगा।
वेस्ट टू एनर्जी प्लांट अब तक अधूरा
रुड़की में शहरी विकास विभाग ने वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने की योजना शुरू की थी। इस प्लांट का निर्माण एक दशक में भी पूरा नहीं हो पाया है। हालात ये हैं कि पिछले दिनों शहरी विकास मंत्री पूरे दल के साथ वेस्ट टू एनर्जी को जानने के लिए जर्मनी गए थे। उन्होंने लौटने के बाद वेस्ट टू एनर्जी की दिशा में तेजी से काम करने के निर्देश भी दिए थे, लेकिन अभी तक इसमें कोई खास प्रगति नजर नहीं आ रही।
उत्तराखंड में सॉलिड वेस्ट सबसे बड़ी चुनौती
राज्य के शहरी क्षेत्रों से रोजाना निकलने वाला कचरा सबसे बड़ी चुनौती है। हालात ये हैं कि रोजाना करीब 1,600 मीट्रिक टन कचरा निकलता है, जिसमें से अभी तक महज 60 फीसदी का निपटान हो पाता है। प्रदेशभर में लीगेसी वेस्ट के अंबार अभी भी लगे हुए हैं। हालांकि, शहरी विकास विभाग लगातार इसके निस्तारण का दावा कर रहा है।हरित कोयला प्लांट के लिए हमने हरिद्वार नगर निगम से एमओयू साइन कर लिया है। इसके लिए भूमि भी चिह्नित कर ली गई है। अब प्रोजेक्ट आगे बढ़ाने की तैयारी है। रोजाना बड़ी मात्रा में कचरे से हरित कोयला तैयार हो सकेगा। -डॉ. संदीप सिंघल, प्रबंध निदेशक, यूजेवीएनएल